________________ घन्मि- यौ॥ अयाचिषातां दोणींदु-पुत्रावारोढुमन्यदा // 20 // तदाचचक्षे धत्तश्चे-इत्सौ मत्सौहद ह. दि // मा याचिष्टां तदाता-वेतौ प्रेतौकसोऽध्वगौ / / 21 // एवं निवार्य कार्येण / केनापि व्याः | पृतोऽनवत् // यदा तदा तदा ताऱ्या-विमौ तावध्यरोहतां // // तावर्वतौ प्रकुर्वतौ / वैपट्ये 651 निर्मदं ननः / नड्डीनौ मैत्रीलानेच्चू / श्वादित्यस्य वाजिनां // 23 // दणांतरेऽथ तच्चुधि / प्र. कुर्वति गुरौ जगुः // कुमारा श्तरे दारु–वाहवाहनतां तयोः // 24 // स दध्यावहहा कीहटना बे मनोहर घोमा बनाव्या, एक दिवसे ते बन्ने घोमा बे राजपुत्रोए चडवामाटे तेनीपासे मा. ग्या. // 20 // त्यारे कोकासे तेजने कह्यु के हे वत्स! जो तमो हृदयमां मारी मित्राश्धारण करता हो तो आकाशमां गमन करनारा था बन्ने घोडाननी तमो मागणी न करो. // 21 // एवी रीते तेनने निवारीने ज्यारे कोकास कक कामे लाग्यो त्यारे ते बन्ने राजकुमारो ते बन्ने घो. डापर चडी बेठा. // 2 // त्यारे ते बन्ने घोमा विस्तारमा आकाशने पण मदरहित करताथका सूर्यना घोडाननी मिलाइ मेलववाने जाणे श्खता होय नहि तेम नड्या. // 3 // पड़ी थोड़ी | वारे कोकास ज्यारे ते घोमानी तपास करवा लाग्यो सारे वीजा कुमारोए ते बन्ने कुमारोनं P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust