________________ धम्मि- सीयांचैव तस्यात् / सूत्रधारत्वसूचिका // 5 // सोऽन्यधात काकजंघस्य / रथोऽयं पृथिवीपतेः // सार्थ | निविलंबं मया कार्य-स्तवासी कथमर्पये // 6 // कोकासः प्राह तन्मुंच / तक्षणीं येन तत्दाणं / / दर्शयामि रथं सिहं / कार्य जाग्यवतामिव // 7 // तदा तदर्पितां वासी-मादाय स कलानिधिः // 640 रथे मुहूर्त्तमात्रेण / चक्रदयमयोजयत् // 7 // हस्तलाघवमन्यस्य / नेदृशं भुवि संजवि // जझा. वित्यनुमानेन / तं कोकासं स सूत्रभृत // // अन्यां वासी तवासीन-स्यात्रानेष्येऽहमित्यसौ // तारपणुं सूचवनारी थर. // 5 // हवे ते सुतार बोल्यो के था काकजंघ राजानो स्यबे, बने ते मारे तुरत पूरो करखो , माटे हुँ तने वांसलो शीरीते यापी शकुं? // 6 // त्यारे कोकास बो. व्यो के जो एम ने तो तुं वांसलो गेमी दे, के जेथी हुँ तने गाग्यवानोना कार्यनीपेठे दणवा. रमां या रथ बनावी बापुं. // 7 // त्यारे तेणे आपेलो वांसलो लेश्ने ते कलानिधान कोकासे बे घडीमांज स्थनी अंदर बन्ने चक्रो जोमी दीघां // 7 // यावी हाथचालाकी बीजा कोश्नी पण आ पृथ्वीमां संगवती नथी, एवी रीतना अनुमानथी ते सुतारे तेने कोक्कासतरीके जाणी लीयो. | // // तुं यहीं बेठो ने एटलामां हुं तने वीजो वांसलो लावी बापुं बुं, एम कही तेने ठगीने P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust