________________ धमि। लोणितले यंत्रो / जरद्रव श्वापतत् // 3000 // निःश्रि विप्रतिचारेण / रेणुनेवावगुंवितं // दध | दास्यं धराजानि-स्तदराजा न्यगद्यत // 1 // राजन्नलं विषादेन / विषादेनः सुदारुणं // कृति नो हितकार्युक्त-समुलंघनजं विदुः // 2 // अयं ते विविषां देश-स्तबन्नमिह तिष्टतात् / / तदो. 647] पकरणं किंचि-नगराद्यावदानये // 3 // प्रविवेश सदेशस्थं / स तोसलिपुरं ततः॥ आपृच्छ्या . पृच्छ्य कस्यापि / तदणो मंदिरमीयिवान् // 4 // ययाचे स्थनिर्माणा-कुलं वासी स तदाकं / / वा. // 3000 / / एवी रीते उलटी रीते चालवाथी जाणे धूळथी बाबादित थयुं होय नहि तेम निस्तेज मुखने धारण करनारा ते राजाने कोकासे कहूं के, // 1 // हे राजन् ! हवे खेद करवायी सर्य, केमके हितकारीना वचनना नखंघनथी नत्पन्न थयेलां पापने विहानोए विषयी पण जयं कर कहेछ बे. // 2 // हवे aa तारा शत्रुजनो देश बे, माटे अहीं तारे गुप्तपणे रहे, के जेट लामा हुं नगरमांथी कर्शक सुतारनुं हथियार लावू. // 3 // पनी ते कोकास नजीक रहेलां तोस. लीपुर नगरमा गयो, तथा पूजतो पूबतो कोश्क सुतारने घेर पहोंच्यो. // 4 // त्यां तेणे स्थ व. | नाववामां पडेला ते सुतारपासे वांसलो माग्यो, अने. ते वांसलानी मागणीज ते कोकासन स. Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.