________________ 3 / . . . . धम्मि- रखोकस्य / पाथी दारिद्यदोषतः // 27 // वय॑मानो विधात्रेव / तनयस्तस्य केवलं // तुषांश्चखाद माई | शालीनां / लीनो धनपतेहे // 25 // असौ भृशं बुसग्राम-लालसत्वान्महाजनैः // अपभ्रंश गिरा चक्रे / कोकास इति नामजाक् // 60 // पुत्रोऽन्यदा धनपते-नाम्ना धनवसुः श्रिये // यियासुर्यवनं दीपं / नवं पोतमसळायत् // 61 // पायौघैः पुण्यनैपुण्यः / स तं पोतमबीनरत् // ला. नदैः संयमी चेतो / मूलोत्तरगुणैखि // 6 // चेटा श्वांगसां पत्युः / पोतक्रीमनपंडिताः // सर्वे मये ते सुतारने एक पुत्र थयो त्यारे ते सुतार अने तेनी स्त्री बन्ने गरीबाश्नेलीधे मृत्यु पाम्या. // 50 // केवल विधाताथीज पोषातो एवो तेनो ते पुत्र धनपति शेठने घेर रहीने मांगरना फो. तरां खातो हतो. // एए॥ एवी रीते घणा फोतरां खावानो लालचु होवाथी महाजनोए अपवंश नाषामां तेनु कोकास नाम पाडयु.॥ 60 / / हवे ते धनपतिशेठना धनवसु नामना पुत्रे एक दि. वसे धन कमावामाटे यवनहीपे जवाने नवं वहाण तैयार कयु. // 61 / / पनी साधु लाज देना रा मूलोत्तर गुणोथी जेम पोतार्नु मन परे, तेम करीयाणाना समूहथी ते पुण्यशालीए ते व| हाण यु. // 6 // समुद्रना नोकरसरखा वहाण चलाववामां चतुर एवा सर्वे खलासीनने तेणे PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust