________________ अग्नि स्तोक-श्लोकसद्वृत्तमालिनी // 14 // मराल व सत्पदा-स्तत्रारिदमनो नृपः // पत्नी प्रियम ती तस्य / पद्मिनीव गुणालया // 55 // श्रेष्टी धनपतिस्तत्र / बालमित्रं महीपतेः // हरन्न्यायगु. |णेनोग्रं / श्रियश्चापव्यदृषणं // 56 / / सूत्रधारोऽनवत्तत्र / दरिद्रो धनदाधिः // यः स्वाख्यां बेद६३७ | नार्थेन / दारूपेणाकृतार्थयत् / / 57 // समये तनये जाते / स च तस्य प्रियापि च // अतां प | अरिदमन राजानीपेठे अन्योथी परानव पामे . // 53 / / जंच वर्णना लोकोना क्रमवाळी (मनोहर अदरोना क्रमवाळी ) घणी कीर्तिवाळा सदाचारी लोकोथी शोजिती (घणा श्लोको त| था मनोहर काव्योथी (जपकावाळी) साहित्यविद्यासरखी तमालिनी नामनी नगरी 3. // 24 // त्यां नत्तम पदवाळो (पांखोवाळो) हंससरखो अरिदमन नामे राजा हतो, अने तेने कमलिनी सरखी गुणोना ( तंतुनना) स्थानवाळी प्रियमती नामे राणी हती. // 55 // त्यां पोताना न्या. |यगुणथी लक्ष्मीना चपलपणारूप जयंकर दूषणने हरनारोअने ते राजानो बालमित्र धनपति ना. | मे शेठ वसतो हतो. // 26 // वळी ते नगरमां एक धनद नामे दरिडी सुतार रहेतो हतो, के | जेणे वेदनना अर्थवाला दाधातुना रूपवडे पोता नाम कृतार्थ कर्यु हतुं. // 27 // पनी जे स. ) P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust