________________ धाम्म | सा सुव्रतांतिके // 4 // ससंवेगा रस वेगात् / पिवंती समयोदधेः // पुरीमवपुरीहा सा / क्रमामा दुऊयिनी ययौ // 10 // तत्र पित्रोमिलित्वा सा / निजं वृत्तं निवेद्य च // तयोरप्यनवत्तत्वा वबोधस्य निबंधनं // 11 // निशम्य वसुदत्ताया-श्चरित्रमिति चित्रकृत् / / गुरूणां मंजुला वावः / 636 | कः सुधीवधीरयेत् // 52 // श्रास्तां स्त्रियो न मन्यते / ये नृपा अपि सहचः // ते परैः परिजू यंते / राजारिदमनो यथा // 23 // नगरी सारसाहित्य–विद्येवास्ति तमालिनी // वर्ण्यवर्णक्रमासंसारसमुद्रथी ते मखा लागी. // 4 // ते संसारसागरने तखामाटे तेणीए ते सार्थपतिनी रजा लेश्ने अाग्रहसहित होमीसरखी नंची स्थितिवाद्यं चारित्र ते सुव्रतासाध्वीपासे ग्रहण कर्य. ॥णा पनी वैराग्यवाळी तथा सिघांतसमुद्रनो रस पीतीथकी शरीरनी पण ममता छोडीने ते अनुक्रमे न. गायिनी नगरीमां ग. // 50 // त्यां पोताना मातपिताने मळीने तथा तेजने पोतानुं वृत्तांत क. हीने तेजने पण तत्त्वज्ञानना कारणरूप ते थ पमी. // 51 // एवी रीतनुं वसुदत्तार्नु आश्चर्यकारी चरित्र सांजलीने कयो सुबुछि माणस मातापितादिक वडिलनी हितकारी वाणीनुं नलंघन | करे? // 5 // स्त्रीनं तो एकबाजु रही, परंतु जे राजा पण हितवचन मानता नथी, तेज प.। Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratnasuri M.S.