________________ धम्मि. महायिनी ब्रज // 4 // कृतसातेन सा तेन / प्रीणितेति मृदूक्तिभिः // चचाल निर्विचालस्य / दुःखपूरस्य पारमा // 45 // सह तेनैव सार्थेन / प्रस्थितोरुपरिबदा / जीवंतस्वामिनं नंतुं / सुत्र तास्ति तपोधना // 46 // सा चक्षुःपथमायाता-नंदसुंदरया तया // ववंदे तन्मुखार्म / शर्मका६३५ | रिच शुश्रुवे // 4 // घनव्यसनकझोला-ज्जराजन्मजलाकुलात् / / आतंकपंकसंकीर्णा-जवां नोधेर्बिजाय सा // 4 // तं तरीतुं तरीतुंग-स्थिति जग्राह साग्रहा // सार्थनायमनुज्ञाप्य / व्रतं शथी तेणीने मिष्टवचनोथी कां के, // 43 // हे पुत्रि! तुं शामाटे खेद करे ? या शं तार कुटुंब नथी? या सार्थनी अंदर रहीने तुं मुखेथी नऊयिनी जा? // 44 // एवी रीते शांत करनारा ते सार्थवाहे कोमळ वचनोवडे खुश करवाथी ते निरंतर पमतां दुःखोनो पार पामीने चालवा लागी. // 45 // हवे तेज सार्थनीसाथे मनोहर परिवारवाळी सुव्रता नामनी साध्वी जी. वंतस्वामीने वांदवामाटे चालती हती. // 46 // आनंदथी सुंदर थयेली एवी ते वसुदत्ताए ते सा. ध्वीने जोश्ने वंदन कयु, थने तेणीना मुखथी सुखकारी धर्म सांगव्यो. // 4 // त्यारे घणां दः. | खोरूपी मोजांनवाळा, जराजन्मरूपी जलथी पाकुल थयेला, तथा नयरूपी कादवथी नरेला वा PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust