________________ धम्मि- ते / कांते रुष्टेव यासि किं // ति जल्पन्ननटपेजः। प्रियया समगस्त सः॥२॥ वल्लनां दृढमा लिंग्य / सुतावंके निवेश्य च // स साहसी सदानीतं / नोज्यं तेषां मुदे ददौ // 3 // ननः स्वनवनं मुक्त्वा / प्रतीच्या मिलितस्तदा // गनस्तिः कलयनस्तं / तस्यापि तमसूचयत् / / 4 // विहा. य वर्त्म स नज–नेकांत कांतया समं // निशि शय्याकृते धूली—स्तूलीखि विवेद सः // 5 // | तदा सा वसुदत्तापि / संगते हृदयंगमे // मेने मनोविनोदाय / तदासनवनं वनं // 6 // तत्रस्थै| तानी स्त्रीने अगामीना नागमां दीठी. // 1 // त्यारे मनमां खुशी थश्ने हे प्रिये! तं रीसायेली. नीपेठे केम चाली जाय जे ? एम बोलतोयको घणी श्वानेवालो ते धनदेव तेणीने मल्यो. / / // 2 // पछी पोतानी ते स्त्रीने खूब आलिंगन देश्ने तथा बन्ने पुत्रोने खोळामां बेसामीने ते साहसीके तेनने खुशी करवामाटे साथे लावेवू नोजन थाप्यु. / / 3 // ते वखते सूर्य पण पा. काशरूपी पोतानुं घर छोमीने पश्चिम दिशाने मळी अस्त पामतोथको ते धनदेवना अस्तने पण सूचबवा लाग्यो. // 4 // त्यारे ते मार्ग प्रेमीने स्त्रीसाथे एकांते रह्योथको रात्रीए शय्यामाटे धू. | ळने पण गादलांसमान मानवा लाग्यो. // 5 // ते वसुदत्ता पण पोताना स्वामीना मेलापथी ते P.P.AC.Gunratnasur Jun Gun Aaradhak Trust