________________ धग्मि- / सार्थवाहो महाधनः // 2 // धनश्रीरिति तस्यासी-प्रिया सीमा सुयोषितां // पुत्रो धनवसुः | पुत्री / वसुदत्तेति विश्रुता / / 73 // धनदेवस्य कौशांब्याः। पुरस्तत्रेयुषः सुतां / / वसुदत्तामदत्ता सौ / साथैशो जातसौहृदः // 4 // व्यवसायबलोपात्तां / श्रियं तां च श्रियोऽधिकां // धनदेवः | समादाय / मुदितः स्वपुरीं ययौ // 5 // तत्र लेने स गार्हस्थ्य -फलं वैषयिकैः सुखैः // पित्रोः सेवातिहेवाकः / समं दयितया तया // 6 // स काले वसुदत्ताया। दौ सुतावुपपीपदत् // यशो | // 2 // तेने नत्तम स्त्रीननी सीमासरखी धनश्री नामनी स्त्री हती, तथा धनवसु नामे पुत्र थ. ने वसुदत्ता नामे प्रख्यात पुत्री हती. // 3 // कोशांबी नगरीथी त्यां श्रावेला धनदेवसाथे मित्रा थवाथी ते सार्थवाहे तेने पोतानी वसुदत्ता पुत्री आपी. // 7 // पड़ी ते धनदेव व्यापार ना बळथी मेळवेली लक्ष्मीने तथा लक्ष्मीथी अधिक ते वसुदत्ताने लेश्ने खुशी थयोथको पोतानी नगरीमा गयो. / / 75 // त्यां मातपितानी सेवा करतोयको ते धनदेव तेणीनीसाथे विषयसुः / ख जोगवतोयको गृहस्थावास, फल जोगववा लाग्यो. // 6 // पछी नदार संपदायी जगतने | माननीक एवा यश अने धर्म जेम नत्पन्न थाय रे, तेम अवसरे तेने ते वसुदत्तायी बे पुत्रो न / P.P.AC.GunratnasuriM.S