________________ धाम्म- // 73 // यदायास्यति सर्वेषा / श्वरेषा न मया समं // नवितास्मि तदा सर्व-जनानां हास्यना जनं // 14 // अंब कंबुसहग्बुधि-धाम तत्त्वं तथा कुरु // यथा प्रीतिं विनाप्येति / प्रातरेषा स. मं मया // 7 // .. विमलाथ तमाश्वास्य / कमलामुपसृत्य च // मातुः समुचितां तस्यै / शिक्षामदामधीर्ददौ // 16 // ईयास्त्वं सप्रियः प्रात-र्वनमेवं नृपांगजः // आदिशम्मिलं तेन / प्रातरेष तांत राजपुत्रने जणावी दीधुं बे, अने तेथी तेणे मने प्रजातमां स्त्रीसहित बगीचामां बोलाव्यो | जे. // 13 // माटे जो या कमला देषी थने यावती काले मारीसाथे नहि श्रावे तो हं सर्व लोकोप्रति हास्यपात्र थश्श. // 14 // माटे हे शंखसरखी निर्मल बुधिना धामसरखी माता! तुं तेम कर के जेथी प्रभाते ते प्रीतिविना पण मारीसाथे थावे. // 15 // __त्यारे महाबुध्विान ते विमला तेने आश्वासना थापीने तथा कमलापासे जश्ने तेणीने | माताने उचित शिखामण देवा लागी के, // 16 // तारे प्रनाते स्त्रीसहित बगीचामां श्रावq ए. म राजपुत्रे धम्मिलने हुकम कर्यो , माटे प्रनातमां ते बगीचे जवानो . // 9 // माटे तुं न / Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.