________________ धम्भिब परिबदः // इति तेनोदिते प्राह / धम्मिलोगोधरध्वनिः // 50 // समागम कुमाराहं / कुशा ग्रपुरपत्तनात् // श्रास्ते मम परीवारः / पुरीपरिसरावनौ // 51 // ततः कलावतस्तस्य / वासायावा. सदित्सया / पुरांतः पुरुषान् प्रैषी-न्मंक्षु दितिपतेः सुतः // 12 // ययौ च स्वयमारामं / कमला. 615|| विमलाश्रितं // धम्मिलेन सहालीन-बंधुरस्कंधसिंधुरः // 53 // कोऽयमेतीति कमला—पने विम लयोदितं // दिष्ट्या तव प्रियोऽयं सोऽन्येति सिंधुरवाहनः // 55 // कियान परिबदः प्रापि / पण नक्षसायमान थती नथी. / / 4 / / वळी हे सऊन! तने हं पूर्व बु के तुं क्यांधी आवे ? तथा तारो निर्मल परिवार क्यां बे? एवी रीते तेणे कह्याथी मेघसरखी ध्वनिवाळो धम्मिल बोल्यो के, // 20 // हे कुमार! हुं कुशाग्रनगरथी थाव्यो बुं, तथा मारो परिवार नगरना पादरमां बे. // // 51 // पछी ते कलावान धम्मिलने रहेवामाटे यावास देवानी नाथी ते राजपुत्रे तुरत नगरनी अंदर पोताना माणसोने मोकल्या, // 5 // अने पोते धम्मिलसहित मनोहर स्कंधवाळा हाथीपर बेशीने कमला अने विमलायी आश्रित थयेला वनमां गयो. // 53 // था वळी कोण यावे ? एम कमलाए पूज्वाथी विमला बोली के बरे था तो सारं थयुं के तारो या स्वामी Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.