________________ अम्मि ध्यानमिवागमैः // 35 // रविसेनस्तदा चंपा-धिकपिलनुपः // तत मित्रयुतः क्रीमं-स्ता. न्यालोकत कौतुकी // 40 // कोऽप्यस्ति सरिदोघस्योपरि नूनं कलानिधिः // दृश्यते यस्य वि. झान-मिदमित्युन्निनाय सः // 41 // यत्र तं दत्तसन्मान-मानयेथां कलाविदं / शिदयित्वेति जंघालौ / नरौ प्रैषीन्नृपात्मजः // 42 // कूलं कूलंकषायास्तौ / वीदयमाणौ समंततः / / यत्रास्ते ध. म्मिलस्तत्रा-गत्यादः सत्यमूचतुः // 43 // कलानिधान विज्ञान-मालोक्य तव अपनः // त्वदि. नने जेम शुक्लध्यानमां ले जाय ने, तेम गंगामां जतुं चंडानुं जल ते कोतरेलां कमलपत्रोने गंगामां ले गयु.॥३५॥ ते वखते चंपानगरीना कपिलराजाना पुढे त्यां मित्रोसहित क्रीडा क. रतांथकां ते कोतरेलां कमलपत्रो कौतुकथी जोयां. // 40 // त्यारे तेणे विचार्य के था नदीना प्रवाहनी नपरवास खरेखर को कलावान मनुष्य बे, के जेनी या चतुराश् नजरे पडे . // 41 // ते कलावान माणसने यहीं सन्मानपूर्वक लावो, एम हुकम करीने ते राजपुत्रे नतावळी चालना बे माणसोने त्यां मोकल्या. // 4 // ते माणसो चारे बाजु नदीनो किनारो जोताथका ज्यां धम्मिल हतो त्यां धावीने तेने सत्य वात कहेवा लाग्या के, // 43 // हे कलाना भंमार! तारी) PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust