________________ धम्मि- // 34 // पद्मासीनेषु भुंगेषु / गायत्सु त्वतिपुष्करा // सन्यीकृत्य विहंगाली / या नृत्यत्यूमिहस्तकैः // 35 // निम्नाः कूपा अपेयोब्धिः / सरोऽटपं जीप्रदा हृदाः // हसति स्फारमिंमिर-बलाद्यान्यजलाशयान // 36 // नद्यां ततानवद्यांगः / क्रीमन कुंजरलीलया // विज्ञः स पद्मपत्रेषु / नखल्बे. धादि निर्ममे // 37 // त्रचामरचक्राद्या-कारवंति मृदूनि च // धन्यपाणितलानीव / पद्मपत्रा णि रेजिरे // 38 // चंद्रायाः सलिलैगगां / गद्भिस्तंत्र तान्यपि // निन्यिरे यतिचेतांसि / शु. पामती चंद्रा नामनी नदीने दीठी. // 34 // कमलपर बेठेला नमराजे गाते ते जे नदी पनि जनी श्रेणिने सजासदरूप गणीने मोजानरूपी हाथोवडे नाचती हती. // 35 // कुवान तो . माने, समुद्र पीवालायक नथी, तळाव नानुं होय में, अने हो जय आपनाराजे, एवी रीते अ. न्य जलाशयोनी ते नदी विस्तीर्ण फीणना मिषथी हांसी करती हती. // 36 // ते नदीमां मनो. हर शरीवाळो तथा चतुर एवो ते धम्मिल हाथीनीपेठे क्रीमा करतोयको कमलपत्रोपर नखथी कोतरणी करवा लाग्यो. // 35 // तेथी बत्र, चामर तथा चक्रयादिक याकारवाळा जाग्यवान म. नुष्यनी हथेलीसरखा ते कोमळ कमलपत्रों शोजवा लाग्यो. // 30 // हवे श्रागमो मुनिना म. | Jun cun Aaradhak Trust