________________ 600 धम्मि-| // 13 // अयं दूतो नवेन्नून-मिति ध्यायिनमन्यधात् // धम्मिलं स पुमान् मौलि-मौलीकृतकरसार्थ | ध्यः // 14 // आर्यपुत्रायमासन्नो / दृश्यते योजनाचलः // अत्रास्त्यजितसेनाख्यो / वानपक्षीप्र भुबली // 15 // अर्जुनः स्तेनसेनानी-स्तस्यादुत्कटो विषन् / स त्वया घातितोऽश्रावि / चरे. न्यस्तेन संप्रति // 16 // बंधुबुलिं दधानोऽसौ / हल्लेखोन्मेषिमानसः // श्हागात् सपरीवारः / संप्रति त्वां दिहदते // 17 // धम्मिलोऽपि रथं मुक्त्वा / विनीस्तमनिसंचरत् // तेन मुक्ततुरंगेण | डीने उत्तम वेषवाळो तथा सुंदर रूपवानो कोश्क चतुर माणस श्राव्यो. // 13 // खरेखर या दूत दशे एम विचारता ते धम्मिलने मस्तकपर मुकुटरूप करेल ने बने हाथो जेणे एवा ते पुरुषे कडं के, // 14 // हे यार्यपुत्र ! था नजीकमां जे अंजनाचल पर्वत देखाय ने त्यां अजितसेन नामनो वनपल्लीनो बलवान खामी रहे . // 15 // चोरोनो सेनापति अर्जुन तेनो मोटो शत्रु हतो, तेने ते मार्यो एम गुप्त राखेला पुरुषोना मुखथी तेणे हमणा सांजल्यु जे. // 16 // अने तेथी यति थानंदित मनवाळो थश्ने ताराप्रते बंधुनी बुद्धि धारण करतोयको ते ग्रहीं परिवारसहित श्राव्यो बे, अने हवे तने ते मलवानी श्छा राखे . // 17 // त्यारे धम्मिल पण रथ छो. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhiak Trust