________________ धम्मि- रंगणालिंग्य नाषितः // 17 // त्वयापायि मुखेनामिः / पंजरेऽक्षेपि केसरी // दांतश्च दृग्विषो जो / गी। हतो यदयमर्जुनः // 15 // अजय्ये नटसंहत्या-ऽर्जुनेऽस्मिन्निहते त्वया // निःशव्यहृदय. सार्थ त्वेन / निशि निति नः सुखं // 20 // ततः प्रसीद नः स्थानं / स्वपादाभ्यां पवित्रय // अस्तु 600 लोकस्त्वदालोक-सुधापानप्रमोदनः // 11 // तेनेत्यन्यर्थितः पसी / प्रति सोऽचालयद्रथ // न प. रप्रार्थनानंगं / वितन्वंति विदणाः // // स च पल्लीपतिस्तस्य / महोत्सवमचीकरत् // अशन. मीने निर्जय थ तेनीसामे गयो, त्यारे अजितसेन पण घोडापरथी नतरी आनंदथी तेने जेटीने बोल्यो के, // 10 // जे या अर्जुनने मार्यो के तेथी तें मुखवडे अमिपान कर्यु , केसरी सिंहने पांजरामा पूर्यो , तथा दृष्टिविष सर्पने तें दम्यो . // 17 // सुनटोनी श्रेणिथी न जी. ती काय एवा ते अर्जुनने मारवाथी हवे अमारां हृदयतुं शल्य निकळी जवाथी अमोने रात्रीए सखे निद्रा भावे . // 20 // माटे हवे तुं कृपा करीने तारां चरणोथी अमारे स्थान पवित्र क. र? के जेथी त्यांना लोको तने जोवारूप अमृतपानथी आनंदित थाय. // 21 // एवी रीते ते. णे प्रार्थना कर्याथी धम्मिले तेनी पक्षी तरफ पोतानो रथं चलाव्यो, केमके विचक्षण माणसो पर P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust