________________ सार्थ। -धाम्म | लवती सती / निजसुशीलतया विदिता अवि // विमलशीलधना नविका जना / श्ह नवंतु तथा | सुकृतप्रथाः // 5 // एकाकिन्यपि सा शील-वती मातर्महासती / यथा तथा वशान्यापि / ववशा शीलालीलया // 6 // लघोरप्यंब मे शिदां / कदीकुरु सुखाकरीं // अस्यामंगलरूपस्य / पश्य व. 606 मपि मा मुखं // 7 // एवं स्ववर्णनं श्रुएवन् / स मौनी प्रेरयन् रथं // कियतीमपि कांतार-जुवं यावदः तेन मोदसुखना नाजनरूप थशे. // 4 // एवी रोते जेम पोताना सुशीलपणाधी ते शीलवती सती पृथ्वीमा प्रख्यात थर, तेम हे नविक लोको! तमो या जगतमां निर्मल शीलरूपी धनवाळा थश्ने पुण्यशाली था? // 5 // माटे हे माता! एवी रीते ते शीलवती एकली पण जेम महासती थइ तेम बीजी स्त्री पण शीलनी लीलाथी पोताना यात्माने वश राखी शके . // 6 // वळी हे माता! मारी बालकनी पण एक शिखामण तमो स्वीकारो? अमंगलरूप एवा aa धम्मिलनुं तमो पण मुख न जुन.॥७॥ एवी रीतनुं पोतानुं वर्णन सांगलतोयको ते मौनधारी धम्मिल स्थ हंकारतोषको जेवामां के P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust