________________ धम्मि- रागिणः // रागद्वेषौ यतो यातो। जन्मकोटीषु जन्मिनां // 1400 // पूर्वस्मिंश्व नवे योऽनृत् / / | सोदर्यस्तव वर्यधीः // सांप्रतं सैष ते नर्ता / विचित्रं नवनाटकं // 1 // श्रुत्वेति प्रतिबुघास्ते / प्र णम्य मुनिपुंगवं // योजितांजलयश्चारु-चारित्राय ययाचिरे // 2 // अदीदयन् मुनिः सर्वान् / 605] शीलवत्या समन्वितान् // सा तेऽपि तेपिरे खा-धारातीव्रतरं तपः // 3 // सर्वे संयममाराध्य / शु. ध्याना ययुर्दिवं // क्रमेण सिघिसौख्यानां / नविष्यति च भाजनं // 4 // इति यथाजनि शी. न! ते या राजाधादिक थया. // एए | पूर्वना संस्कारथी तेज अहीं तारामां अनुरागवाळा थया, केमके राग थने देष क्रोडोगमे जन्मोमां पण प्राणीनी पाउल जाय . / / श००० // वकी पूर्वनवमां उत्तम बुध्विाळो जे तारो नाश् हतो, तेज हालमां तारो भर्तार बे, केमके था सं. सारनाटक विचित्र प्रकारनुं . // 1 // ते सांनळीने तेज सघला प्रतिबोध पामीने मुनिराजने नमीने हाथ जोमी मनोहर चारित्रनी मागणी करखा लाग्या. // 2 // त्यारे मुनिए शीलवतीसहित तेन सर्वने दीदा आपी, पनी ते शीलवती तथा तेन सघळा खगधारासरखं तीव तप तपवा ला. ग्या. // 3 // पनी तेज सघन संयम थाराधीने शुछ ध्यानथी देवलोकमां गया, तथा अनुक्रमे | Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.