________________ अग्णि पाकाच न मुच्यते // 7 // यतितव्यं ततः कर्म-धंसने धीरचेतसा / / खलो यो दंड्यते सै-। व / धनेन धनेन किं / ए० // दुःकर्म तत्कथं जेयं / तयेत्युक्ते मुनि गौ / कर्ममर्माविधं ध. | मै-मेव शर्मकरं श्रय // ए१ // तया को धर्म इत्युक्ते / यतिरूचे सचेतने // दधाति सर्वधर्मेषु / 603) संयमः सर्वसारतां // ए॥ अपारे खलु संसार-सागरे सारसंयमं // यानपात्रसमं प्राप्य / यांति धीराः पदं पदं // 23 // इत्याकर्ण्य सकर्णा सा / संयमं साधुसंनिधौ // आदाय पालयामास / धीरमनवाळाए कर्मोना विनाशमाटे यत्न करखो जोश्ये, अने तेथी खल एवं जे कर्म तेनेज शिदा थवी जोश्ये, शरीरने शिदा करखाथी शुं फायदो बे ? // 50 // त्यारे दुष्कर्मने शीरीते जी. तवं? एम तेणीए कह्याथी मुनि बोल्या के, कर्मोना मर्मोने नेदनारा अने सुख करनारा धर्मनोज तुं याश्रय कर? // 1 // कयो धर्म ? एम तेणीए कह्याथी मुनि बोल्या के हे बुझिमति ! सर्व धर्मोमां संयमधर्म सारत ने, // ए॥ था अपार संसारसागरमां वहाणसरखा मनोहर संय. मने पामीने धीरपुरुषो मोदस्थानमां जाय . // 23 // ते सांनळीने ते बुध्विान कन्या साधुपासे संयम लेख्ने साध्वी साथे रहीने घणा कालसुधी पालवा लागी. // ए // अंते अनशन P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust