________________ धम्मि| तान् वरान वीदय / चतुरश्चतुरोऽप्यलं // किंकर्तव्यतया मूढः / शिवतिरत्ततः // 1 // केचिः | ना कोलाहलं चक्रु-शुक्रुशुः केऽपि तं जनाः // अन्योन्यं विवदंतेस्म / वराणां खजना अपि // // 2 // वैसंस्थुव्यमतुल्यं त-दीदय कन्या विषादिनी // विषादिनिनिहतुं स्व-मीहतेस्म हताश६०१ या // 3 // सा ततः साततश्वित्र-मनोरथपरंपरा / परं परानवं चित्ते / चिंतयंती ययौ वनं / / // 4 // अकुंठोत्कंठया मृत्योः / कंठे पाशं विपत्यसौ // यावत्तावध्वनिर-न्मुग्धे मा कुरु भावी पहोंच्यो, थने तेथी ते चारे वरो परिवारसहित साथेज श्रावी पहोंच्या. // 70 // एवी रीते ते चारे वरोने अचानक श्रावेला जोश्ने चतुर एवो पण शिवभूति ढवे शुं कर? एम विचारमूढ थ गयो. // 71 // केटलाको कोलाहल करवा लाग्या, अने केटलाक माणसो तेनापर गुस्से थवा लाग्या, तथा ते वरोनां सगांज पण परस्पर विवाद करवा लाग्या. / / 2 / / एवी रीतनो अतुल्य कोलाहल जोश्ने खेद पामेली ते निर्जागी कन्या फेरयादिकथी आत्मघात करवा. ने बवा लागी. // 3 // दुःखथी बेदागने मनोरथोनी श्रेणि जेनी एवी ते कन्या था म. हापरानवने विचारतीथकी वनमां गश्. // 4 // मृत्युनी अति उत्कंठाथी जेवामां ते गळामां फां. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust