________________ धम्मि- वागतोऽसीति / सन्यै पृष्टो हिजो जगौ // मा मां पृचत पार्षद्याः / पश्यत प्रथमं पुरः // // / तालकेऽथाग्रिमे निन्ने / तलारदो विनिर्ययौ // वदारकांततः शैल-गह्वरादिव कौशिकः // 3 // एवं तृतीयतर्यान्यां / वदारान्यां निरीयतुः // मंत्री च मेदिनीशश्च / त्रपासंकुचिताननौ // 24 // अपास्तजूषा यापाणि-पादं खलितरंटिताः // निर्विशेषाः सदृग्वेषा / जलाईमात्रवाससः // 25 // ईयिवांसो नवपरा-वत्तादिव दशांतरं // चत्वारस्ते चिरं चित्रं / न चक्रुः कस्य पश्यतः // 26 // प्रगट थयो. // 21 // अरे! यामां शीरीते तुं श्राव्यो? एम सजासदोए पूज्वाथी ते ब्राह्मण बोव्यो के. हे सन्नासदो तमो मने पूगे नहि, परंतु पहेलां पागल तपास चलावो? // 2 // ते पळीनं ताबु नांगवाथी पर्वतनी गुफामांथी जेम घुवर तेम ते खानामांथी कोटवाल निकव्यो. // 23 // एवी रीते त्रीजा बने चोथा खानामांथी लङाथी संकोचायेलां मुखवाळा मंत्री अ. ने राजा निकल्या. // 24 // याऋषणविनाना भने नेक हाथथी पगसुधी खरमायेलां शरीरवाळा कई पण तफावतविना तुल्य वेषवान, अने फक्त जलथी नींजायेला वस्त्रवाळा, // 25 // जाणे संसारचक्रमांथी बीजी दशाने प्राप्त थया होय नहि एवा ते चारे कया जोनार माणसने घणा का. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust