________________ धम्मि व्यास्तातपादाना-मिन्या अन्याययुः स्वयं // 2 // तत्तत्कार्येषु जूपायै-रात्तवित्तफला अपि // पुनः पुनः फलंतीन्या / हुमा नित्यफला श्व // 3 // परं नास्ति ममेदानीं / व्यापारोऽयं शिशोखि // जीवत्सु तातपादेषु / मंत्र्यारदाक्योखि // 4 // तैरूचिरे कुमारें / त्रयोऽप्येते बुलोकिरे // रत्नत्रए७५ यमिवानव्य-रस्माभिर्न तु लेनिरे // 5 // कुमारः स्माद संब्रांत-मना मीधवादयः // कामी अहो गता राज-रथसारथयस्त्रयः // 6 // चिंतां च पूर्वमेतेषां / करिष्याम्येष वस्ततः // एवं तं लागे.॥२॥ अमुक अमुक कार्यप्रसंगे राजायादिको जेननु धनरूपी फल जो के ले, तो पण नित्य फलतां वृदोनीपेठे ते शाहुकारो फरी फरीने फल्या करे . // 3 // परंतु हजु पिताजी हयात बतां जेम मंत्री बने कोटवाल- तेम मारे बालकने दालमां या कार्य करखानुं नथी. // // त्यारे ते बोल्या के हे कुमारेंद्र ! ते त्रणेनी अमोए तपास करी, परंतु बनव्योने जेम (झानादिक) वण रत्नो तेम अमोने तेन मख्या नहि. // 5 // ते सांभळी मनमा गजरायेलो कुमार बोल्यो के राजा, रथ अने सारथिसरखा ते राजायादिक क्यां गया? // 6 // माटे प्रथम हं ते. उनी तपास करीश, अने पनी तमारं कार्य करीश, एवी रीते तेने पावरवाळो जोश्ने महाजने Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.