________________ धाम्न- चिवस्तदा // ए॥ प्रारदसिंहदत्तस्य / तेऽथ मंदिरमाययुः // निःशासनो निषिरिख / न लेने | मा सोऽपि तैस्तदा // // विलदास्ते ततो राज्ञः / कुमारं गुणसागरं // योजितांजलयोऽन्येत्य / | प्रणम्येति व्यजिझपत् / / एए | वार्ता श्रुत्वाप्यकल्याणीं / समुद्रस्य प्रवासिनः // तऽहं न प्रवि. एन् टाः स्मो / यतः सोऽदपुत्रकः // 2700 // तत्कुमार प्रसद्याशु / प्रेष्यंतां निजपूरुषाः // दृष्टुं त. मेहसर्वखं / कुर्मो येनोर्ध्वदेहिकं // 1 // सोऽप्यूचे पुण्यवानस्मि / यत्केलिप्रियमद्य मां / / गौरवालने घेर गया, परंतु बेमालुम निधाननीपेठे ते पण तेजने मल्यो नहि. // // त्यारे वि. लखा पडेला ते गुणोना समुद्रसरखा राजाना कुमारपासे भावीने हाथ जोडी प्रणाम करीने विनंति करवा लाग्या के, // एए // विदेश गयेला समुद्रदत्तना मृत्युनी वात सांजलीने पण य. मो तेना घरमां गया नथी, केमके ते पुत्ररहित हतो. // 2700 // माटे हे कुमार! आप कृपा करीने तेना घरनी मीटकत तपासवामाटे पापना माणसोने मोकलो? के जेथी अमो तेनी मरण क्रिया करीये. // 1 // त्यारे ते राजकुमार पण बोल्यो के हुँ पण पुण्यवान बुं के बालक्रीडा कर| तो एवो जे हुं, तेनीपासे पिताजीना मानीता एवा तमो शेठीया बाजे पोतानीमेळेज यावे. Jun Gun Aaradhak Trust