________________ धम्मि- / मा नैः स्वस्थो नव दिज // यास्यत्यसौ दणं स्थित्वा / निशास्त्यद्यापि जुयसी // 55 // मंज. पायास्तावदस्या / वदारं गहरोपमं // दणमध्याव सोऽपि डा क्समुबाय तथाकरोत् // 56 / / प्रयत्नोपार्जितद्रव्य / श्व विप्रे निधीकृते // ददौ श्रेष्टिप्रिया प्रीता / वदारे तत्र तालकं // 17 // 57 शंकासंकुचितस्तत्रा-नंतसंतमसि विजः // स तस्थौ नाविनरका-वस्थामनुलवन्निव // 27 // अथोद्घाट्य कपाटौ सा। तलारदमवेशयत् / / धीवंध्यस्य हिजस्येव / भक्तिं तस्याप्यदर्शयत् / / मां पडेला ते ब्राह्मणने शीलवतीए कहूं के हे ब्राह्मण तुं धीरज राख? ते तो वहीं दाणवार र. हीने चाख्यो जशे, अने हजु रात्री तो घणी ने. // 15 // माटे तुं था पेटीना गुफासरखा खानामां दाणवारसुधी बेशी जा? त्यारे तेणे पण जलदी उठीने तेमज कयु. // 26 // महेनतवडे नपाजन करेलां धननीपेठे ते ब्राह्मणने पेटीमां पूरीने खुश थयेली शीलवतीए ते खानाने ताबु था. प्यु. // 27 // ते अनंता अंधारावान खानामां पोताने थनारी नरकनी अवस्थाने जाणे अनुन्नवतो होय नहि तेम ते ब्राह्मण शंकाथी संकोचाश्ने तेमां बेठो. // 20 // पनी कमाम नघामीने तेणीए कोटवाळने घरमां दाखल कर्यो, तथा ते ब्राह्मणनीपेठे ते बुधिहीन कोटवाळपते पण ते. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust