________________ H . धम्म म्यंत्येते निरायुधाः // तदेव चित्रं यन्नात्र / दृष्टः कोऽपि निरायुधः // 41 // एवं विकल्पतरूपस्थः / / सार्थ स तेषां सविधं ययौ // धर्मलानाशिषं चास्मै / ते दयांचक्रिरे स्वयं // 45 // के यूयं किमिहाया ता। नाषिता इति तेन ते // मृदुवाचोचिरे चारु-मुखपोतावृताननाः // 3 // महानुनाव धर्मझा / धर्मतत्वोपदेशकाः // श्रमणा इति विख्याता / धर्ममार्गे स्थिता वयंः // 4 // // कामंतः सारसार्थेन / सममेनां गिरिस्थली // सार्थभ्रंशामंतोऽत्र / समाजग्मिम सुंदर // 45 // साधुसंगसमु. मके यहीं कोश्ने हथियाररहित दीठो नथी. // 41 // एवी रीते अनेक प्रकारना विकल्पो कर तोथको ते तेजनीपासे गयो, त्यारे तेनए पण तेने पोतानीमेळेज धर्मलाननी आशीष पापी. // 42 // तमो कोण छो? अने यहीं केम याव्या गे? एवी रीते तेणे बोलाव्याथी तेन मुखपर मुहपत्ति राखीने मिष्ट वचनोथी बोल्या के, // 13 // हे महानुनाव! अमो धर्म जाणनारा, धर्मतत्वनो उपदेश देनारा तथा धर्ममार्गमा रहेनारा श्रमण नामथी प्रख्यात थयेला बीये. // 4 // वळी हे सुंदर! अमो एक सथवारानी साथे चालता इता, परंतु तेथी विखुटा पमवाथी अमो भम | ता नमता यहीं या गिरिस्थलीमां भावी चड्या जीये. // 42 // साधुना संगथी उत्पन्न थयेला P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust