________________ धाम्म नयनाननितो मुनीन // 14 // नृपो ननाम निर्नाम-कृतमानो मुनीश्वरं / / तत्पादाब्जरजो भालसार्थ स्थले तिलकयन मुदा / / 75 // झातोदंतः परिजना-चम्मिलोऽपि स धर्मधीः // रथारूढो वनं गत्वा || तं मुनि सप्रियोऽनमत् // 16 // नाम नाम निविष्टेसु / नागरेष्वपरेष्वपि // वारेमे देशनां धी. 716 र-ध्वनिमुनिमतल्लिका // 9 // धर्मो जिनोदितोऽसारे / संसारेच मलीमसे / / श्वावकरके रत्नं / सभाग्यैरेव लन्यते // 70 // तं च चंचत्प्रभं प्राप्य / संपत्संपादनदम // पदं मादुः प्रमादस्य / द. अहंकाररहित थइने तेमना चरणकमलनी रजने हर्षथी पोताना ललाटस्थलमां तिलकरूप करतोथको ते मुनिराजने नम्यो. // 35 // ते वखते ते धर्मबुधिवाळो धम्मिल पण परिवारमारफते ते वृत्तांत जाणीने पोतानी स्त्री सहित स्थमां बेशी वनमा जश्ने ते मुनिराजने नम्यो. // 7 // | वळी नगरना बीजा लोको पण नमी नमीने बेशते छते ते मुनिमहाराजे पण मधुर ध्वनिधी दे. शना देवा मांडी. // 7 ॥था असार बने मलीन-संसारमा जिनेश्वरप्रनुए कहेलो धर्म कचरा. नी अंदर रहेला रत्ननीपेठे भाग्यवंतोनेज मळी शके जे. // 70 // चळकती प्रनावाला अने संप| दाने मेळववामां समर्थ एवा ते धर्मने पामीने हे बुध्विान मनुष्यो! चोरसरखा प्रमादने स्थान PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust