________________ धाम्म मां // 65 // नृणामखंडपाखम-चंडानिलविलोलनैः // विहायतां गतां नाव-वहीं पल्लवयन् | सार्थ | हृदि // 66 // सदाचारजुषा ददो / मलयानिललीलया // पापतापमपाकुर्वन् / नवारण्यत्रमोद्भवं | || 67 // विवेकिकोकिलकुले / स्वाध्यायध्वनिवर्धनः / सन्मनोरथमाकंदान् / फलयोग्यां दशां न यन् // 6 // नव्यपांथान शिववधू-कंठया त्वरयन्नलं // श्रागमार्थरसास्वादे / सादरं विदधानं | // ६ए // स्मेरयन सुमनःश्रेणी / पुरस्कुर्वन तपःस्थिति // तन्वन् परमहो दोषा-वतारं तुबतां नने धारण करे . // 65 // अखंड पाखमरूपी जयंकर पवनना ऊपाटाथी माणसोन। विखराश्ग. येली हृदयमा रहेली नावरूपी वेलडीने नवपल्लव करताथका, // 66 // सदाचारवाळी मलयाचल. ना पवननी लीलाथी संसाररूपी जंगलमा फरवायी नत्पन्न थयेला पापरूपी तापने दूर करता, त. था दद, // 67 // विवेकी मनुष्योरूपी कोयलोना समुहना स्वाध्यायरूपी ध्वनिनी वृद्धि करनारा, तथा स्वजनोना मनोरथोरूपी आम्रवृदोने फललायक स्थितिमां लेश जता, // 6 // नव्योरूपी पंथिनने मोदास्त्रीने मळवानी नत्कंठाथी एकदम उतावल करावता, तथा बागमोना अर्थनो रस | चाखवामां लोकोने यादरयुक्त करनारा, // ६ए // सज्जनोनी श्रेणिने (पुष्पोनी श्रेणिने) प्र. PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust