________________ धाम्म- नित्रेणाखनत्तदा // 36 // अस्य जंतुमधो यांतं / देहश्चाप्यनुगबतु // इति दिप्त्वा जुवोऽधस्तं / सार्थ | स जपर्यतनोदजः // 37 // ततस्तस्यानवजीति-शंका तबधजा हृदि // नूनं समाधिनंगाय / वै. रमौजस्विनामपि // 30 // यथा यथा नृणां संपद् / विषां कंपस्तथा तथा // विवसुः प्रतिपचंद्रो / ग्रस्यते न हि राहुणा // 35 // कंकेलितलमालीनः / स्वगृढोपवनेऽन्यदा // ददर्श दर्शनानंदकरीमेकां मृगीदृशं // 40 // चकोरपारणाकाश वासवारिधिमअनैः // पुण्यैरिंदुर्यदास्यत्वं / प्रा. गतिमां जता थाना जीवनी पाउल तेना शरीरे पण जर्बु जोश्ये, एम विचारी तेना शरीरने ते जूमीमां दाटीने उपर तेणे धूळ नाखी. // 37 // पनी तेना हृदयमां तेने मारवाथी मरनी शंका जत्पन्न थर, केमके वैर जे ते खरेखर पराक्रमीना.सुखनो पण नाश करनारुं थाय ने.॥३॥ जेम जेम माणसोने संपदा मळे , तेम तेम वैरी तरफनो डर वधे बे, केमके तेजविनानो प. डवानो चंद्र करुं राहुथी असातो नथी. // 39 // पनी एक दिवसे ते पोताना घरना बगीचामां ज्यारे अशोकवृदानीचे बेठो हतो, त्यारे जोवाथीज यानंद करनारी एक स्त्रीने त्यां तेणे जो.॥ | // 40 // चकोरपदिनां पारणा, थाकाशमां निवास, तथा समुद्रमा बुझवायादिक पुण्योथी ते P.P.AC. GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust