________________ // 12 // // 23 // मिलनाय / तस्योत्तमोतो // 24 // खपितुः / MIरै विदन / / तत्राययौ वियोगाती / पुरस्कृत्य यो यस्तस्य तदा मुदा // स भेजे दानमानान्यां / त. से परिम्लानां / कीर्तिवल्लीमजीवयत् // नदारताघनः पुण्य(IF२५॥ वीसौवर्णसत्पी / गरीयोऽगुरुधूपनं // आत्यंतरं चतुःशालं / हो! जीवतो माणस शुं शुं नथी जोतो? एम बोलताथका लोको महामंबरथी प्रवेश करता ते मिलने पोतपोताना घरमांथी नेत्रोवडे जोवा लाग्या. // 2 // ते वखते तेनो धनवसु नामनो ससरो पण अवसर जाणीने वियोगथी पीडाती यशोमतीने अगामी करीने त्यां याव्यो. / / 3 / / ते वखते जे जे माणस हर्षयी तेने मळवा याव्या, ते सर्वने दान अने मानथी संतुष्ट करीने ते. नना करजथी मुक्त थवा लाग्यो. // 24 // पजी पोताना पितानी करमा गयेली कीर्तिरूपी वे. लमीने नदारतारूपी वरसादसरखा अने दानरूपी जलवाळा ते धम्मिले फरीने प्रफुल्लित करवायी ते पुण्यरूपी फल देनारी थ. // 25 // एक दिवसे ते पोताना घरमां मनोहर अगुरुना धूपवाळा | अंदरना चोगानमां मनोहर सुवर्णना बाजोठपर बेठो बे, // 26 // त्यारे सरल याशयवाळी वसं. Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.