________________ धम्मि- // 16 // बारोह स निःशेष-नारीनिरनितो वृतः // तद्यानमंबुजक्रोम मिव हंसः सहसिकः सार्थ | // 17 // जनयत्तारकनांति / दिवा जूचारिणां नृणां // दाणादिमानमुत्प्चुत्य / कुशाग्रपुरमापतत् / / | // 10 // विमानं व्योम्नि संस्थाप्य / प्राक् प्रवेशे पुरांतरा // वसंततिलकायाः सोऽनवृष्टिमुदं 714 ददौ // 15 // अमित्रदमनो नृपः। श्रुत्वा लोकात्तमागतं // महा कारयामास / तत्प्रवेशमहोत्सवं // 20 // त्रुपस्तस्यालयं तस्मै | कृत्वा विनवपूरितं // ददौ यथा वसंतर्तुः / पिकायानं फलैर्भूतं // 21 // महा प्रविशन लोकै-राबुलोके स्वसद्मतः // दृशा जीवन जनः किं किं / न पश्येदि. इंस जेम कमलपर तेम ते विमानपर चड्यो. // 17 // हवे दिवसे पण पृथ्वीपर चालनारा मनुप्योने तारानी ब्रांति जपजावतुंथकुं ते विमान दाणवारमा जडीने कुशाग्रपुरमां याव्यं. // 10 // पजी तेणे विमानने याकाशमां स्थापीने तथा नगरमां जश्ने प्रथम वसंततिलकाने वादळांविना. नी वृष्टिसरखो हर्ष प्राप्यो. // 1 // पनी अमित्रदमन राजाए लोकोना मुखथी तेने पावेलो जा. णीने मोटा याबस्थी तेनो प्रवेशमहोत्सव कराव्यो. // 20 // पनी वसंतऋतु कोयलने जेम फलोथी नरेलो यांबो थापे तेम राजाए तेने तेनुं घर समृध्थिी नरपूर करीने याप्यु. // 21 // | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Junun Aaradhak Trust