________________ धम्मि- कार्थ-स्वार्थतुष्टोऽस्ति यत्सदा // 15 // नोगान कामये तस्मा-न जूषां न पुनः श्रियं // एत. दिहामि यच्चात्म-चित्तादुत्तारयेन्न मां // 13 // इत्याद्यनल्पतज्जल्प-वाहिकाहं हृदीश्वर // तस्या ला| अनुयोरबुत्या-गढ़ गगनवर्त्मना // 14 // हृदयोनवासरोमांच-नेत्रचू विन्रमादिना // नाथ 713 | जानेऽनुमानेन / यद्भवांस्तां दिदते // 15 // एवमेवेति तेनोक्ता / तदा सा खेचरेश्वरी // विमानमुपमानस्वी-कृतस्वमंदिरं व्यधात् // र्षकारी ने. // 12 // हं तेनी पासेथी नोगोनी, भाषणोनी के धननी श्ला करती नथी, फक्त एटबुज इच्छं बुं के ते मने पोताना मनपरथी जतारे नहि. // 13 // हे स्वामीनाथ! इत्यादि तेणीना अनेक वचनोनो संदेशो लावनारी हुं तेणीनी रजा ले जडीने याकाशमार्गे पानी था. वी बु. // 14 // हवे हे नाथ! थापना हृदयना श्वासोश्वास, रोमांच, अांखो तथा भृकुटीना वि. लासयादिक अनुमानथी हुँ एम धारुं बुं के श्राप तेणीने जोवानी नत्कंठा राखो छो. // 15 // एमज , एम तेणे कहेवाथी ते विद्याधरीए देवलोकना मंदिरनी नपमा धरनारुं एक वि. | मान तैयार कर्यु. // 16 // पछी चोफेरथो ते सर्व स्त्रीनथी वीटायेलो ते धम्मिल, हंसीनसहित | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust