________________ धम्मिः दुष्टवणंत्यमी // अपवित्रमुखा विप्र-तलारदाकमंत्रिणः // 16 // किमिति मानुजा पृष्टा / तेषां | दुर्वृत्तमादितः / ततः पृथ्वीपतेः कर्णा-ध्वन्यध्वन्यं व्यधत्त सा // 17 // शीतार्तवत्कंपमानः / स्मरेणाथ जगौ नृपः // निग्रहीष्ये खलानेतान् / केऽमी कामिनि मत्पुरः // 17 // परं विधेहि मां खांग-स्पर्शसौख्यविनागिनं // तत्कर्णकोलमाकर्ण्य / वर्यधीविममर्श सा // 15 // कटरे पातितास्म्येषा / संकटे कटुकर्मन्निः॥ ये रदका ममामाग्या-द्वन्नु वुर्विप्लवाय ते // 20 // वृत्तिश्चेत्त्वा. राज्य क्यां? // 15 // परंतु हे राजन् ! थापना सप्तांगी राज्यमां पण मलिनमुखवान ब्राह्मण, को| टवाळ तथा मंत्री सुष्ट जखमसरखा . // 16 // ते केवी रीते? एम राजाए पूग्वाथी तेणीए प्रथमथी मामीने तेजनुं दुराचरण राजाने कही संनलाव्यु. // 17 // त्यारे जाणे टाढ चडी होय नहि तेम कामथी कंपतो राजा बोल्यो के हे कामिनी! हुं ते दुष्टोने मारी नाखीश, केमके तेनं मारी बागल शुं हिसाबमां ने ? // 17 // परंतु मने तारा शरीरना स्पर्शना सुखवाळो कर? पवी रीतनुं कर्णोमां खीला ठोकवासर तेनुं वचन सांजलीने ते शुध बुद्धिवाळी शीलवती विचाखा लागी के, // 15 // अरेरे! मारां शुष्कर्मोए मने महासंकटमां नाखी , केमके मारां अभाग्यशी P.P.AC.Gunratnasuri.M.S. Jun Gun Aaradhak Trust