________________ धम्मि-। ततो राझो ययौ धामो-पायांतरमविंदती // 11 // नवितव्यतया मि-भुजोऽप्येकाकिनस्तदा साई // ऐंद्रजालिकविद्येव / दृष्टा सा मोहमातनोत् // 15 // सा तुष्टाव नृपं राजं-स्त्वं वर्णस्थापनागु रुः // गतिस्त्वमेव दीनानां / जाते परपरानवे // 13 // मार्गमुच्चरमाणानां / काऽवेला खलहस्ति नां // वज्रांकुशायते राझा-माझा चेन जयंकरी // 14 // सहिजिह्वः क नाकौकः / कः स्वर्गो रंभयान्वितः // काब्धिमध्यमीनार्ति-दृश्वा राज्यं क ते पुनः // 15 // परं तवापि सप्तांगे / राज्ये उपाय न सुजवाथी राजाने घेर ग. // 11 // नवितव्यताने योगे ते वखते राजा पण त्यां एकलोज हतो, तेथी इंद्रजाल विद्यानीपेठे तेणीए तेने पण मोहित करी दीधो. // 1 // पछी तेणी. ए राजानी स्तुति करी के हे राजन! तुं सर्व माणसोनो खामी , थने तेनने शत्रु तरफथी परानव थती वखते तुंज शरणरूप बे. // 13 // जयंकर वज्रांकुशसरखी जो राजानी बाझान होय तो नीच माणसोरूपी हाथीनने मार्गनुं नवंघन करतां शुं वखत लागे? // 14 // बे जीन. वाळा (बोलीने फरी जनारा) एटले नागोथी नरेखो पाताल क्यां? तथा रंनाथी (अरराटीना | नयधी) युक्त थयेलो वर्ग.क्यां? अने अंदर मत्स्योनी पीडा जोनारो समुद्र क्यां? अने तारूं |