________________ पम्मि- टचक्रे स्मरजल्लीव / प्रविष्टा सहसा हृदि // 6 // त्वं पुरे मायिनां शूलं / मूलं सन्न्यायनुरुहः॥ वि. यामनंगुरं स्थान-मेवं तं सापनायत // 7 // एवमाह्लाद्य सा तस्मै / व्यसनाब्धितितीर्षया // वि. | जन्मनस्तलारदा-स्यापि वृत्त न्यवेदयत् / / 7 // सोऽप्यवोचत यद्यस्ति / स्वाति शमयितुं मनः // 565 तत् पूर्व स्वांगसंगेन / मम कामातिमल्पय // ए // अथ सा जातवैलदया। शीलदालितपातका // तृतीयं प्रहरं रात्रे-स्तस्यागंतुमुपादिशत् // 10 // शार्दूलस्य कुरंगीव / तस्य पार्श्वमपास्य सा॥ | पेठे तुरत तेना हृदयमा पेसीने ते खटकारो करवा लागी. // 6 // हे मंत्री! आप तो था नगरमां कपटीनने शूलसमान, सन्न्यायरूपी वृदाना मूलसरखा तथा बुधिना अविचल स्थानसरखा गे, एम ते तेनी प्रशंसा करवा लागी. // 7 // एवी रीते तेने खुशी करीने दुःखरूपी समुऽ तरखानी श्वाथी तेणीए ते ब्राह्मण तथा कोटवालतुं वृत्तांत निवेदन कयु. // // सारे ते पण बोल्यो के जो तारे तारं दुःख मटामवानी श्वा होय तो प्रथम तारा शरीरना संगथी मारी कामपीडा न. छी कर? // ए // त्यारे शीलथी धोयेलां पापोवाळी तेणीए विलखी थश्ने तेने रात्रिने त्रीजे. होरे श्राववानुं कडं. // 10 // हरिणी जेम सिंहनुं तेम तेनुं पर गेडीने ते शीलवती बीजो P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust