________________ धम्मि-| काष्ट–मयादाविशमायसां // 1 // अयं हि चौरचक्रेन्यो / रदान पृथ्वीपतेः पुरं // स्वपुरं स्मरचौमा रेण / खुंट्यमानं न पश्यति // 2 // यदि निर्नर्सयाम्येन-मधुना मदनाकुलं / तत्कुर्वतो बला"| कार-मस्य को नाम वारकः // 3 // नपायेनैव साध्योऽय–मिति ध्यात्वा जगाद सा // द्विती५६५ ये यामिनीयामे / त्वमागबेगुहं मम // 4 // ततस्तेनापि मुक्ता सा / मुक्तपाशेव पदिणी // नि: |र्गत्य सत्वरं तस्य / नवनात्सचिवं ययौ // 5 // तस्यापि सदनांतःस्थ-स्येयं दृग्गोचरं गता // खा. घोमाथी मरीने खामामां पड़ी, तथा काष्टनी सांकळमांथी निकळीने लोखमनी सांकळमां पमी. // | // 1 // या कोटवाळ राजाना नगरनुं चोरोथी तो रक्षण करे बे, परंतु कामरूपी चोरथी बंटाता पोताना पुर एटले शरीरने तो जोतो नथी. // 2 // जो था कामातुरने हुं हमणा निबंजीश तो थाने मारापर बलात्कार गुजारतां कोण अटकावशे? // 3 // माटे याने पण उपायथीज शिदा करवी, एम विचारीने ते बोली के, रात्रिने बीजे पहोरे तारे मारे घेर थाववं // 4 // पजी तेणे | पण मुक्त करेली एवी ते शीलवती पाशमांथी बुटेली पदिणीनीपेठे तुरत तेना घरमांथी निकळीने मंत्रीपासे गइ. // 5 // तेने पण घरमां बेगंज ते दृष्टिए पमी, तथा कामदेवना जालांनी P.P.AC.Gunratnasuril