________________ धम्मि- नान्यस्ता न च ये दृष्टा / न वा श्रुतिपथं गताः / तेषु मान्मथनावेषु / सा मय्याचार्यकं दधौ // | एU | सादीहशत्तया हाई / सौहार्द येन मे मनः // अब्धेः पय श्वोदेलं / तामद्याप्यनुधावति // 55 // इत्युक्तितस्तदाकूतं / ज्ञात्वा विद्युन्मती जगौ // तस्याः समानये शुधि / हृद्य यद्यनुम७० न्यसे / ए६ // रोषणं जनमापृच्छय / यथायोग्यं समाचर // इत्युक्ता तेन कमला-नुझाता सो दडीयत / / ए // दणांतरे समागत्य / शिरःयोजितांजलिः // सा प्रियं प्राह कुतुकं / कुर्वती - रूपी नदीमां राजहंसपणाने अनुन्नवतोथको हुँ घणा वर्षीसुधी तेणीने घेर रह्यो हतो. // 7 // जेनो में अभ्यास कर्यो नहोतो, जे में दीग नहोता, अथवा जे में काने पण सांजव्या नहोता एवा ते कामदेवसंबंधी नावो मने शिखाववामां तेणीए श्राचार्यनी पदवी धारण करी हती. || तेणीए मने अंतःकरणपूर्वक एवो तो स्नेह देखाड्यो बे के समुद्रनुं जल जेम वीरप्रते तेम माझं मन हजु पण तेणीनातरफ दोडे . // 5 // एवी रीतना वचनथी तेनो अभिप्राय जाणीने वि. गुन्मती बोली के हे स्वामी! जो थापनी याज्ञा होय तो हुं तेनी खबर लावू. / / ए६ // था गु. | स्से थती कमलानी रजा लेश्ने जेम योग्य लागे तेम कर? एम तेणे कहेवायी कमलाए अनु. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust