________________ धषि ताडने // तदा कयमलप्स्यध्वं / दयितं यूयमीदृशं / / 73 // किमीहगुपकार्येष / पूज्यते ताब्यतेऽ- | थवा // जक्तिनंग्यानया तस्या / न कयाशु विसिष्मये / / 4 // विद्युन्मती बनाषेऽथ / स्वामिन मृत्यैव भिन्नयोः॥ हृदा नास्त्यावयोर्भेद-स्तद्यथातथमादिश // 5 // यन्नाम्ना तव लोलाये। दो. 707 | लालीलान्वयत // सा का वसंततिलका / वशासु तिलकायिता / / 76 // कृत्रिमा दर्शयन् नीति थी तेनी पूजा करो? // 2 // केमके ते वखते या मारो पग जो मुग्धतामनथी पागे हट्यो होत, तो तमोने श्रावो नर्तार क्याथी मळत ? // 3 // माटे यावा उपकारी था पगने पूजवो जोश्ये ? के मारखो जोश्ये? एवी रीतनी तेणीनी वचनचतुरास्थी कर स्त्री एकदम आश्चर्य न पामी? // 7 // हवे विद्युन्मती बोली के हे स्वामी! केवल मूर्तिथीज निन्न एवा आपणवच्चे हृदयथी कई पण तफावत नथी, माटे जेवं होय तेवू सत्य कहो ? // 5 // जेणीना नामे था. पनी जिह्वाना अग्र नागपर हींचोळानी लीला अनुन्नवेली , एवी स्त्री मां तिलकसरखी वसंत. तिलका कोण ? // 6 // त्यारे ते जपरनपरनो कृत्रिम जय देखाडतोथको बोल्यो के हे सुंदR! तुं ते वात न बोल, केमके गुस्से थयेली था पासे जमेली कमलाने शुं तुं नथी जोती? | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust