________________ सार्थ धाम्म मसौ // 6 // असौ क्रीडारसे सर्व-मादितो वृत्तमात्मनः / / कमलापादघाताय / नवोढास्ता अ. | जिझपत् // 6 // अन्यदा कमला गोष्टयां / विद्युन्मत्या न्यगद्यत // युक्तं वसः प्रियं पादे नाहंतुं हंत किं तव // 70 // निर्धनोऽपि कुरूपोऽपि / निःश्रीकोऽपि व्यसन्यपि // सेव्यो देव श्व 704 प्रेयान / रामया शुगकाम्यया // 31 // धन्ययातिप्रसादेऽपि / नावगण्यः पतिः स्त्रिया // धान्यं पा. देन मृद्राति / नातिधातोऽपि यद्बुधः / / 72 // स विद्यानतिकोपेऽपि / यो जानाति व जूमिकां // // 67 // रतिसरखी ते स्त्रीनना निरंतर नोगथी नवसायमान रंगपूर्वक ते धम्मिल हंसनी तुल्य ता पाम्यो. // 67 // पछी तेणे क्रीडाना रसमां कमलाए लात मारवा थादिकरूप पोतार्नु संघद्धं वृत्तांत ते नवी परणेली स्त्रीनने जणावी दीधुं. // ६ए / एक दिवसे वात निकलतां विद्युन्मतीए कमलाने कह्यं के हे बहेन! पोताना स्वामीने लात मारखी ए शुं तने युक्त ? // 10 // निर्धन, कदरूपो. लक्ष्मीविनानो तथा व्यसनी बता. पण स्त्रीए पोताना कल्याणनी बाथी पोताना खा. मीने देवनीपेठे आराधवो जोश्ये. // 31 // अति महेरबानी उतां पण नाग्यवती.स्त्रीए पतिनी अवगणना न करखी जोश्ये, केमके माह्यो माणस अति धराया बतां पण धान्यने पगथी कचर | P.P.AC. Gunratnasurt M.S. Jun Gun Aaradhak. Trust