________________ धाम्म चंपायां प्रेषयामास / वसुदत्तः सुतां निजां // 4 // अयं सुखासनासीनो-ऽन्यदा सौदामिनीमिव | मा // उत्तरंती दिवोदादी द्दीप्तां कांचन योषितं // 50 // नृत्वा पुरोऽतिरोषेण / तमुपालब्ध खेचरी || यन्मे बंधुस्त्वया जन्ने / निर्मतुर्ध्यानमौननाक् // 51 // अनौपाधिकवात्सल्य-विशदस्य दयो७०० | दधेः // परोपकारसारस्य / तत्किं. ते धीर संगतं // 5 // यच्च मे मद्भगिन्याश्च / शेषकन्यागण| स्य च // मनोऽपहृत्य नष्टोऽसि / किं तदप्युचितं तव // 23 // धम्मिलेन ततोऽवादि // सति सत्यं कर्यु.॥ 4 // ते संधिथी खुश थयेला वसुदत्ते जरिने मलवाने नत्सुक थयेली पोतानी पुत्री. -ने चंपानगरीमां मोकली दीधी. // 4 // हवे एक दिवसे ज्यारे ते खुरशीपर बेठो, एवामां | वीजळीनीपेठे कोश्क तेजस्वी स्त्रीने तेणे आकाशमांथी नतरती दीठी. // 10 // पनी ते विद्या. धरी तेनी आगळ-श्रावीने अतिरोषथी तेने उपको देवा लागी के, निरपराधी तथा ध्यानमां मौ. नपणे रहेला मारा नाश्ने जे तें मार्यो बे, // 51. // ते उपाधिरहित वत्सलताथी निर्मल थयेला. | दयाना सागर, तथा परोपकारनेज़. सारत गणनारा एवा तने हे धीरपुरुष! शुं उचित ? // | // 12 // वळी मारुं, मारी.बहेननुं बने बीजी कन्याउना समूहनुं पण मन-हरीने जे तुं नाशी P.R. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust