________________ धम्मिः। पणैः क्रीता / अस्तु भर्ता स एव नः // 44 // जाते राजकुले तस्मिन / वादे कारणिकैनरैः // | स तान्यो दृरतश्चक्रे / करेणुन्य श्वोरणः // 45 // अष्टावपि कुमारीस्ता / धम्मिलाय ददे नृपः // | सोप्याशु परिणिन्ये ता / महोत्सवपुरस्सरं // 16 // तत्प्रेमामृतसुराका-रजनिं प्रमदाकुलं / प्रि६एए| यं प्राप्य च चित्तांत-रजनि प्रमदाकुलं / / 4 // अथासौ वसुदत्तस्य / चंपाधिपतिना सह // संधि कार्य दृढीचक्रे / लक्षण व स क्षणात् // 4 // संधिना तेन संप्रीतः। प्रियप्राप्त्यै समुत्सुकां // खाडयु. // 43 // माटे फक्त एक पोताना जीवनेज बचावनारा एवा तने हीजडाने श्रमो परणी. शं नहि, जेने पोताना प्राणसाटे अमोने खरीदी लीधी , तेज अमारो स्वामी थशे. // 4 // पजी या बाबतनो राजदरबारमां ज्यारे केस चाल्यो त्यारे न्यायाधीशोए हाथणीनंपासेथी जेम घे. यने तेम ते सागरदत्तने तेथी दूर को. // 42 // पनी राजाए ते.आठे कुमारीने धम्मिलने यापी, अने ते पण तेनने जलदी महोत्सवपूर्वक परण्यो. // 46 // तेना प्रेमरूपी अमृतने पु. नमनी रात्रिसरखा ते स्वामीने मेलवीने ते स्त्रीजनो समुह वनमा हर्षथी व्याप्त थयो. // 4 // पजी तेणे क्षणवारमा व्याकरणमां जेम तेम चंपाना राजानीसाथे वसुदत्त राजानुं संधिकार्य दूद्ध P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust