________________ धम्मिः वर्तमत्रमयजं // 30 // खिन्नं निर्विष्णमुत्पन्न-ग्लानि गर्जिविवर्जितं // बारुदत्स गजं स्कंधमाई | देशे करणलीलया // 31 // निरीदय स्वस्य दुर्वारं / वारणौछत्यवारणं // हियेव न्यग्मुखेनैष / कुं. ने तं शृणिनाचिनत् // 3 // सलीलं सोऽथ संचारी / शृण्वन पौरजनस्तुति // बंध सिंधुरं राज -चतुरे चतुरेश्वरः // 33 // कलानिरीक्षणाकात-चित्रं जपं ननाम सः॥ जामातरं निजं रा. जा–प्युपलदयतिस्म तं // 34 // ससंज्रमं समुदाय / नृजानिस्तं महाजं // भुजोपपीममालिंग्य तेथी ते कलावान धम्मिले ते हाथीने घणा काळसुधी मावी बाजुथी फुदमी फेल्यो. // 30 // अने, तेथी खिन्न थयेला, थाकेला, मंद पडेला अने गर्जाखविनाना ते हाथीना स्कंधपर ते ध. म्मिल ब्लंग मारीने चडी गयो. // 31 // हाथीनी नताश्ने निवारखानी पोतानी मुश्केली जापीने जाणे लजाथी नीचा मुखवाळ थयेला एवा अंकुशवडे करीने तेणे ते हाथीना कुनस्थ. लपर जखम कर्यो. // 32 // पड़ी ते चतुरशिरोमणि धम्मिले लीलासहित चालतांयका तथा नगरना लोकोनी स्तुतिने सांगलतांथकां ते हाथीने राजानी हस्तिशालामां बांध्यो. // 33 // पजी कला जोवाथी आश्चर्य पामेला राजाने ते नम्यो, सारे राजाए पण तेने पोताना जमा तरीके PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust