________________ सार्थ EUU / // 25 // किं कर्त्तव्यजडत्वेन / प्रयाणारूढजीविताः / अशरण्या अचैतन्याः। कन्यास्तत्रैव ताः स्थिताः // 26 // यावत्कमलिनीमई / ता मृद्राति मतंगजः / तावद्योधुं तमावास्त / धम्मिलोधी. रवीरयात् // 27 // दीनदृकु जयार्चासु / बालिकास्ववलासु च // शुंडां व्यापारयन्नाशु / किं न कुंजर लऊसे // 2 // यद्यस्ति कापि शक्तिस्ते / तदेषोऽस्मि बली पुरः // गजस्तेनैवमाहूतो / रुषा तंप्रत्यधावत // // युग्मं // लघुदेहः परिस्थूरं / शिदितोऽपरिशिदितं // चिरं स रंगर्वामावं? एम मूढ बनीने ते जीवसटोसटने वखते अाधारविनानी ते कन्या बेजान थने त्यांज नजी रही. // 26 // पनी कमलिनीने कचरी नाखवानीपेठे जेवामां ते हाथी तेजने चगदी नाख. वा जाय जे तेवामां धीर बुध्विाळा ते धम्मिले ते हाथीने लम्वामाटे एकदम वोलान्यो के, // // 27 // अरे हाथी! दीनदृष्टिवाळी, नयथी पीमित थयेली तथा निर्बल एवी या बालिका प्रते तारी सुंढने लंबावतां तुं शुं लजातो नथी? // 2 // जो तारामां कई शक्ति होय तो था हंव लवान तारी सामेज जनो बुं, एवी रीते तेणे हाथीने बोलाववाथी ते तेनातरफ दोड्यो. ॥श्य। धम्मिल नाना शरीखाळो तथा शिखेलो हतो, हाथी जामां शरीवाळो तथा नहि शीखेलो हतो, Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasun M.S.