________________ धाम्म झानन्यायशालिने // गृहमानायितायास्मै / बहुमानं ददौ नृपः // 2 // स कुष्टप्युष्टलावण्यां / तः / सार्थ | स्मै कन्यामदर्शयत् // स प्राह मम रोगोऽयं / साध्यांनस श्वानलः // 3 // शुन्नेऽहनि समारने / | स तद्रोगप्रतिक्रियां // तया सिध्म शनैः शांतं / विद्ययेवाहिनो विषं // 4 // सम्यकतावते तस्मै / 250 | राझा हारखतेव सा // मुक्तामयवपुः पारितोषिकस्य पदे ददे // 5 // ऋनुजान्येारादेशि / न तं पश्यामि कंचन // कपिलेन समं राका / यः संधिं कुरुते मम // 6 // प्राज्याः प्रीतिनिदः साजी करी. // 1 // या वृत्तांत लोकोना मुखथी राजाए जाणीने विज्ञान अने न्यायथी शोन्नता ते धम्मिलने घेर बोलावीने घणुं श्रादरमान दीy. // 2 // पनी तेणे तेने कुष्टथी लावण्यरहित थयेली ते कन्या देखाडी, त्यारे धम्मिल बोब्यो के जलथी जेम अमि तेम या रोगने हं दूर क. री शकीश. // 3 // पनी शुन्न दिवसे तेणे ते रोगनो उपचार करवा मांड्यो, अने तेथी विद्याथी जेम सर्पनुं फेर तेम तेणीनो ते कुष्ट रोग धीमे धीमे शांत थयो. // 4 // पनी राजाए रोगरहित शरीवाळी ते कन्याने हारलतानीपेठे ते नत्तम कलावान धम्मिलने नामतरीके आपी. // 5 // | पनी एक दिवसे ते राजा बोल्यो के एवो कोश पण माणस मारा जोवामां नथी आवतो के जे PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust