________________ धम्मिः // मुक्त्वाश्व जीवमादाय / ययौ कंचन कर्व / ए // स्थितैः शैलांतरंत्यप्रा-ग्यामादृष्टनास्करे // शर्वरीणां नियामत्वं / जगृहे यत्र वासरैः // ए // चंपेशकपिलाख्यस्य / भ्राता रोषेण निर्गतः / // विदधे वसुदत्तोऽत्र / वासं वसुमतीप्रियः // ए // तारुण्ये तद्वः पद्मा-वत्यास्त्वग्व्याधिना वपुः धाए // बबाधे विद्युतो दीप्त्या / फलकाले तिलो यथा // 3100 // प्रविशंस्तत्र दृष्ट्वासौ / कांचिच्चूला कुलां स्त्रियं // व्यथामूलं विदन योग्य-भेषजैस्तामसङायत् // 1 // एतज्जनेन्यो विज्ञाय / वि. घोडाने पण तजीने फक्त जीव लेने ते कोश्क गामडामां गयो. // एy // पर्वतोनी बच्चे रहेला तथा बेला अने पहेला बरधा अरधा पहोरसुधी ज्यां सूर्य देखातो नथी, एवा ते गाममा रहेला दिवसोए रात्रिनुं लियामपणुं ग्रहण कयु हतुं. // ए // ते गाममां चंपानगरीना कपिल नामना राजानो वसुदत्त नामे जा रीसाइ नोकलीने राजा थ रह्यो हतो. // ए // तलनो रोपो फळसमये वीजळीना तेजथी जेम बाधा पामे , तेम तेनी पुत्री पद्मावतीनुं शरीर युवावस्थामां प. कुष्टरोगथी बाधित थयु हतुं. // 3200 // हवे ते गाममां प्रवेश करतांज तेणे कोक शूलरो. | गथी पीडाती स्त्रीने जोश, त्यारे तेना दुःखनुं कारण जाणीने धम्मिले तेणीने योग्य औषधी P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust