________________ धम्मि पाले चुपपन्याय / सम्यग्झानधनो मुनिः // श्रनयोर्मम नंदिन्योः / को चावी जगवन् / सार्थ प्रियः // 14 // यः पुत्रहंता पुत्र्योस्ते / स प्रेयानिति साधुना // प्रोक्ते सा रोषतोषाच्या-माश्लि. या स्वगृहं ययौ // 79 // कामोन्मत्तस्ततो विद्या सिझये सोदरीयुतः // अस्या एव तटे नद्या / ចម वरं सौधं विनिर्ममे // 16 // मणिश्रेणिमयं पश्य / तदेतद् दृश्यते पुरः // स्फुटं स्फटिककैलासशिखरस्येव वर्णिका // 77 // मंत्रीज्यखेचरदगाप-वंश्याः षोडश कन्यकाः // मेलयित्वात्र सश्रीका हवे सम्यग् ज्ञानरूपी धनवाला ते मुनिने राणीए पूज्यु के, हे जगवन् ! या मारी बन्ने पु. त्रीजनो स्वामी कोण थशे? // 14 // तारा पुतने जे मारशे ते तारी बन्ने पुत्रीननो स्वामी थ. शे, एम मुनिए कह्याथी ते रोष श्रने संतोष बन्नेयी व्याप्त थश्ने पोताने घेर गइ. // 75 // प. जी ते कामोन्मत्ते पोतानी बहेनो सहित यहीं आवीने विद्या साधवामाटे आज नदीने किनारे एक मनोहर महेल बनान्यो. // 76 / / स्फटिकमय कैलासपर्वतना शिखरना नमुनासरखो अने म जिनी पंक्तिनवालो ते या महेल प्रगट रीते अगाडीना नागमा देखाय , ते तुं जो? // 7 // मंत्री, शाहुकार, विद्याधर तथा राजाना वंशमा उत्पन्न थयेली तथा शोनावाली विद्यादेवीसरखी Jun Gun Aaradhak Trust