________________ धम्मिा मलं // 65 // निःसंगसंगतिप्रोथ-महिंसारसनोदयं // प्रशांतिकविकाश्लिष्ट-दाणामिषतपोमुखं // 10 // वयंसाहससौवर्णा-भरणं तेजसोटवणं // सध्यानवपर्याणं / हृष्यत्स्वाध्यायहेषया // 1 // नजध्वं श्रुतवटगात-श्वरत्सरलवमनि // गुरुराजार्पितं धर्म-हयरत्नं तजुत्तमं / / 72 // सप्तन्निः 603 कुलकं // इत्युदित्वा स्थिते साधौ / सजा सा धौतकल्मषा // रराज वाहिनीपूर-बुता पुलिन. | वि / / 73 // रूपी मस्तकवाळा, उत्सर्ग अने अपवादरूपी बन्ने कोवान, // 65 // निःसंगतारूपी जमबांवाला, अहिंसारूपी जिह्वावाळा, शांतिरूपी चोकमांथी बांधेला मांसरहित तपरूपी मुखवाळा, // 70 // व. खाणवालायक साहसरूपी स्वर्णना आजूषणवाळा, महातेजवाला, सध्यानरूपी बांधेला पर्याणवाला तथा स्वाध्यायरूपी हेषाखथी खुश थता, // 71 // बने सिघांतरूपी लगामथी सरल मार्गे चा. लनारा गुरुमहाराजे आपेला धर्मरूपी उत्तम अश्वरत्ननो तमो स्वीकार करो? // 12 // एम क हीने मुनिराज मौन रह्याबाद ते सगा पापो धोवायाथी नदीना पूरथी साफ थयेला नदीना तळी | यांनी नमीसरखी शोजवा लागी. / / 73 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust