________________ 601 धम्मि- गुणजनव्रजं // 55 // नराणां व्योमचाराणां / यत्सौधेषु ध्वजांचलैः // वातोधूतैरयत्नेन / दीयः | ते वर्त्मनः क्वमः // 60 // पाति पातकनिर्मुक्त लोकमन्युदयि जयि // तत्पुरं पुरुषानंदो। पा. लो विजयी जय। / / 61 // समरे वैरिकाकोला / अरिष्टफलगोगिनः // यस्यासिदंरमुजीर्ण / वी. याय्यं तत्यजुर्न के // 6 // श्यामलास्य प्रिया कामोन्मत्तपुत्रो यथार्थकः // विश्रुते हे सुते विद्यु-न्मती विद्युल्लता तथा / / 63 / / धर्मघोषयतिव्योम-गतिर्मुनिजनप्रियः // मूर्ती धर्म वा ते नगरना महेलोपर रहेली थने वायुथी नडती ध्वजानना डाथी आकाशगामी माणसोनो | मार्गनो थाक कई पण प्रयासविना दूर थाय बे. // 60 // पापरहित लोकोवान अभ्युदय तथा | जयवाळा एवा ते नगरनुं यन्युदय तथा जयवाळो पुरुषानंद नामे राजा रदाण करे बे. // 61 // रणसंग्राममां सुःखरूपी फल जोगवनारा शत्रुनरूपी कया कागडान तेनी तलवाररूपी दंडने न. गामेलो जोश्ने न नाशी गया ? // 6 // तेने श्यामलानामे राणी हती, तथा कामोन्मत्त नामे यथार्थ पुत्र हतो, तेमज विद्युन्मती अने विद्युल्लता नामे बे पुत्रीन हती. // 63 / / एक दिवसे | ते नगरना उद्यानमा अाकाशगामी तथा मुनिजनोमां प्रिय थयेला जाणे देहधारी धर्म होय न | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust