________________ 6AU धम्मि- संभृतं // 20 // यद्यदानीयते पार्श्वे / तत्तदंतर्निरीक्ष्यते // इति या सर्ववस्तूनां / दधात्याकारतामि व // 51 // तत्तीरेऽपश्यदेकां स / कन्यां वापीमिवापरां // स्मेरांनोजमुखी ब्रांत -चूलतां दृक्तरंव | गिणीं // 5 // किमियं जलदेवीति / तस्य चेतसि संशयं / साजिनवि संक्रांतैः / पात्रांति | प्रदैः पदैः / / 53 / / अन्युपेत्य च सा तेने / तेनेत्यालापगोचरा // श्रीविकासिनि कासि त्वं / कु तो वा किमिहागमः // 14 // सापि प्रीतिफलैर्नत्र-जलैरर्घ वितन्वती // खंडयंती गिरा खंगम लोकोत्तर स्वादने धारण करतुं हतुं. // 50 // जे जे तेनी पासे लाववामां आवतुं हतं, ते ते अंदर देखातुं हतुं, अने एवी रीते ते वाव जाणे सर्व वस्तुनो आकार धारण करती हती. // // 51 // ते वावने किनारे तेणे प्रफुल्लित कमलसरखां मुखवाळी, चलायमान भृकुटीरूपी लतावाली तथा दृष्टिरूपी मोजांनवाळी जाणे बीजी वाव होय नहि एवी एक कन्याने दीठी. // 5 // शुं या जलदेवी होशे? एवी रीते तेना मनमां उत्पन्न थयेला संशयने तेणीए कमलनी भ्रांति उपजावनारां पृथ्वीपर संक्रांत थयेला पोतानां पगलांनथी दूर कयों. / / 53 / / पनी धम्मिले पासे जश्ने तेणीने वोलावी के हे शोभाथी विकस्वर थयेली! तुं कोण बु? अने क्यांथी यहीं या. Jun Gun Aaradhak Trust PP.AC.Gunratnasuri M.S.