________________ धाम्म // 45 // हहा मया नरममं / निरागसमभिन्नता // मकरख्यालगृध्राणां / पंक्तौ वात्मा न्यवेशयत् मा | // 6 // किं तीदणत्वेन शस्त्रस्य / किं वा प्राणेन तेन मे // यतो निर्मतुजंतूनां / नवेदेवंविधो वधः // 4 // निषिछोऽनर्थदंमोऽयं / गेहिनामहतोचितं // यस्मान्नृघातजाता मे / कालिमाभव६७० दाजवं // 4 // इत्युल्लसत्कृपाईण / निंदन्नात्मानमात्मना // गबन पुरो निरैदिष्ट / वापी तत्र म | हावने // 4 // यदंतः स्वादुतां धत्ते / वारि विश्वातिशायिनी // पातालस्थसुधाकुंम-प्रत्यासत्त्येव अरेरे! या निरपराधी माणसने मारीने में मारा श्रात्माने मगर, सर्प तथा गीधनी पंक्तिमां मे व्यो! // 46 // शस्त्रनुं ते तीक्ष्णपणुं पण शुं कामर्नु? तथा मारा ते प्राण पण शुं कामना? के जेथी यावी रीतनो निरपराधी प्राणीननो वध थाय. // 4 // अरिहंतप्रभुए गृहस्थीनने जे श्रा अनर्थदंम निषेध्यो ने ते उचितज , केमके आयी तो बेक जीवितपर्यंत मारापर माणसनुं खून करवानुं कलंक श्राव्यु. // 4 // एवी रीते नवसायमान थयेली दयाथी बार्ड थयेला आत्मा थी पोताने निंदतांथकां तथा पागल चालतांयकां तेणे ते महान जंगलमा एक वाव दीठी. // | // 4 // ते वावमा नरेछ पाणी पातालमा रहेला अमृतकुंमना सहवासथी जाणे होय नहि ते. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust