________________ धम्मि तैदण्य-परीदार्थमवाहयत् // 41 // एकेनैव स घातेना-नित् षष्टिं तृणध्वजान // भेतुं सिंहस्य | का वेला / करिकीकसपिंजरं // 42 // नुवन्नसेनिशातत्वं / गणयंश्विनकीचकान् // प्रदक्षिणय्य वं. 4 शाली / यावतुमियेष सः / / 43 // 647] नरमं पृथग्मुं। पतितं तावदैवत // अंतर्वशीकुमंगस्य / वह्निकुंमं च दीप्तिमत् // 4 // अहो मया नरः कोऽपि / तपस्यन् विजने वने // द्विधापि कालरूपेण / खनानेन चिबिदे // काडीपर चलावी जो. // 41 // त्यारे एकज घाथी तेणे साठ वांसोने बेदी नाख्या, केमके सिं. हने हाथीनु हामपिंजर भेदतां केटली वार लागे? // 42 // पजी ते तलवारना पाणीनी प्रशंसा करतोथको तथा बेदेला वांसोने गणतोयको ते वांसोनी जामीनी आसपास थश्ने जेवामां ते जावानी श्बा करवा लाग्यो, // 3 // तेवामां तेणे बेदाश्ने जूदा पडेला मस्तकवायूँ एक माणसन धड त्यां पडेबु जोयु, तेम ते वांसनी कामीनी अंदर एक बळतो अमिकुंड पण तेणे जोयो. // 44 // अरे! में या निर्जन व. नमां तप तपता कोश्क पुरुषने बन्ने प्रकारे कालरूप एवा था खगथी बेदी नाख्यो! // 45 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust