________________ धम्मि- वैतं / धावंतमनुधावति / / 36 // निखिलं मातलं. धारा-धिरुटमिव दर्शयन् // अशरण्यामरण्यासाई | नी-मनयघम्मिलं यः // 37 // स्थितं तत्र नदीतीरे / स्वयं श्रांततया हयं // स मृदौ जुवि नि मुक्त-पर्याणं तमवेल्लयत // 30 // परितः सरितं सूरा-प्रणीः कनकवाझुकां // स ब्रमन्नव्रमुखामि-लीलया लंबितं तरौ // 35 // निविष्टानेकरत्नौष—करनिच्चरितत्सरं // वनश्रीवेणिसंकाशं / | खममेकमलोकत // 40 // युग्मं // कृपाणं पाणिनादाय / स कोशानिवासयत् // वंशस्तंबे च तं पृथ्वीतल जाणे तेनी गतिपर चडयुं होय नहि तेम देखामतोथको ते घोमो ते धम्मिलने एक निराधार वनमां ले गयो. // 37 / / पछी एक नदीकिनारे थाकीने पोतानी मेळेज नन्ना रहेला ते घोमानुं पलाण तारीने तेने कोमळ मिपर ते फेरखवा लाग्यो. // 30 // पनी ते सुनटशि रोमणि धम्मिले सोनेरी रेतीवाळी ते नदीनी यासपास ऐरावण हाथीनीपेठे नमताथका वृक्षपर लटकावेली, // 30 // तथा जडेला अनेक रत्नोना समुहना किरणोथी वृदने पण तेजस्वी कर नारी, अने वनलमीना चोटलासरखी एक तलवार दीठी. // 40 // पनी ते तलवारने तेणे हाथमां लेने म्यानमांथी बहार कहाडी, अने तेना तीक्ष्णपणानी परीदामाटे तेणे तेने वांसोनी. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust